मध्यप्रदेश के महानगर इन्दौर में सर सेठ हुकमचंद मार्ग पर स्थित कांच मन्दिर अपने नामानुरूप विविधाकार रंगीन कांचों की मनोहारी जड़ाऊ सज्जा और धर्म सम्बन्धी शैक्षणिक एवं उपदेशपुर्णा कथानक - दृश्य चित्रों की अद्भुत एवं विरल संयोजना के लिए विश्वविख्यात् तथा भारतीय कलाराशि की अपूर्व धरोहर है। इस मंन्दिरजी श्का निर्माण जैन समाज के सुपरिचत एवं इन्दौर महानगर के सर्वप्रतिष्ठित कासलीवाल परिवार के पुर्वज सर सेठ श्री हुकमचंदजी सेठ कस्तूरचंदजी, सेठ कल्याणमलजी और श्री हुकमचंदजी के सुपुत्र सेठ राजुकमारजी ने सम्मिलित रूप से माणकचंद गमनीराम नामक मारवाडी गोठ (फर्म) के अन्र्तगत 11 जुलाई सोमवार 1921 इ्. को करवाया और उसमें जिनबिेम्ब प्रतिष्ठा करवाई थी वास्तु योजना की दृष्टि से अनूठी त्रितलीय संरचना में निर्मित यह निर्मित यह मन्दिर मूलनायक के रूप में 16 वें तीर्थकर शान्तिनाथ को समर्पित हैं। इसके अलावा मन्दिरजी में लगभग 16 वी –17 वी शती ई. से लेकर आधुनिक काल तक की 25 जिन प्रतिमाएं तथा धातुनिर्मित 24 यन्त्रजी भी विराजमान है।
मन्दिर मे होने वाले विविध आयोजनो के अवसर पर निकलने वाला सफेद अश्वों से बना सुन्दर रथ तथा रजत पत्र से बनी ऐरावत गजाकृति भी महत्वपुर्ण एवं दर्शनीय है। अनेक मूर्तियों पर अंकित लेख उनके निर्माणकर्ताऔ की विस्तृत जानकारी देने मे समर्थ है। अनेक छपे हुए ग्रन्थो के अलावा 417 हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ भी इस मंन्दिर की धरोहर है। इस मंन्दिरजी की समग्र कलाराशि (पाण्डुलिपियों को छोडकर) से जनसुमदाय एवं विद्वत जनों को अवगत कराने के उद्देश्य से छायाचित्रों जनो को अवगत कराने के उददेश्य से छायाचित्रां के साथ सरल भाषा में इस पुस्तक को प्रस्तुत करने का लेखक का प्रयास प्रशंसनीय है।